
वीरवार को मुक्तसर के मलोट से श्रीगंगानगर गए दूल्हे ने 8 घंटे के संघर्ष के बाद आखिरकार अपनी दुल्हनिया को ले ही आया। दूल्हे के पास पंजाब की अनुमति तो थी, लेकिन राजस्थान बॉर्डर सील होने से वीरवार सुबह उसे खारिज कर दिया गया। इस कारण अधिकारियों ने दूल्हे को श्रीगंगानगर में एंट्री देने से मना कर दिया। ऐसे में दूल्हा-दूल्हन को दोबारा अनुमति लेने को 8 घंटे संघर्ष करना पड़ा। केमिस्ट्री देखिए, दूल्हा राजस्थान के बॉर्डर पर अफसरों को मनाता रहा और दुल्हन सचिवालय में अनुमति लेने पहुंची। इस घटनाक्रम में भास्कर भी मददगार बना रहा।
दूल्हा बॉर्डर पर अफसरों को मनाता रहा, दुल्हन सचिवालय अनुमति लेने पहुंच गई
- सुबह 10 बजे: दूल्हा बारात लेकर पहुंचा तो राजस्थान बॉर्डर पर रोक दिया गया
बॉर्डर पर नाकाबंदी सख्त है। वीरवार सुबह 10 बजे का समय है। मलाेट से मां तारादेवी के साथ शेरवानी पहने दूल्हा अक्षय कुमार पहुंचा। नायब तहसीलदार काे दस्तावेज दिखाए। दूल्हे के हाथ में मुक्तसर डीसी का पास है। नायब तहसीलदार ने दस्तावेज देखने के बाद कहा कि बॉर्डर पर सख्ताई बढ़ा दी है और आपकी अनुमति खारिज कर दी गई है। परेशान दूल्हे ने दुल्हन समेत कई परिचितों को फोन किया।
- दोपहर 3 बजे : दुल्हन पहुंची सचिवालय
दाेपहर 3 बजे तक दूल्हे ने मिन्नतें की ताे नायब तहसीलदार ने अफसरों से पूछकर डाेली वाली कार काे राजस्थान प्रवेश की अनुमति दे दी। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उनकी स्क्रीनिंग की। इतनी देर में ही सचिवालय से फिर नायब तहसीलदार के पास फाेन आया और अनुमति निरस्त कर दी। इस पर भास्कर टीम शाम चार बजे दुल्हन सुनीता के घर पहुंची। दुल्हन के चाचा मांगेराम, प्रेम भाटिया के साथ दुल्हन काे लेकर सचिवालय पहुंचे। हालात बताने पर डीसी ने दूल्हे काे शादी के लिए श्रीगंगानगर आने की अनुमति दे दी।
- शाम 6 बजे : सात फेरे के बंधन में बंधे, और फिर की गई दुल्हन की विदाई
अनुमति मिलते ही सीमा पर बैठे अधिकारियों ने दूल्हे काे आने की अनुमति दी। शाम सवा 5 बजे दूल्हा अपनी मां के साथ दुल्हन के घर पहुंचा। दूल्हे की सालियों ने घर के मुख्य दरवाजे पर रिबन कटाई की रस्म पूरी की। इसके बाद दूल्हे काे घर में प्रवेश मिला। पाैने छह बजे घर की छत पर मंडप लगाकर फेराें की रस्म पूरी हुई और पंजाब वाले आखिर दुल्हनिया ले गए। इस पूरी प्रक्रिया में भास्कर रिपोर्टर और फोटो जर्नलिस्ट ने दोनों पक्षों की पूरी मदद की।
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