
जालंधर/विभिन्न जिलों से.लौंगोवाल के स्कूल वैन में 4 बच्चों के जिंदा जलने के बाद सरकार और प्रशासन जागा। सरकार के आदेश के बाद सोमवार को पूरे प्रदेश में स्कूली वाहनों की जांच पड़ताल की गई। प्रशासन ने पूरा अमला ही उतार दिया। डीसी, एसपी और एएसपी तक मैदान में उतर आए।
एक दिन में ही प्रशासन ने अभियान चलाकर 1494 स्कूली वाहनों के चालान काटे और 227 वाहन इम्पाउंड किए। यानी ऐसा चल रहा है लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही थी। मुहिम के शुरू होने से पहले ही निजी स्कूल संचालकों और वाहन चालकों को सूचना मिलने से सड़कों पर घूमने वाली स्कूल वैन नहीं दिखाई दीं।
इससे बच्चों के स्कूल जाने में परेशानी हुई तो बहुत से अभिभावक अपने वाहनों में उन्हें छोड़ने पहुंचे तो बहुत से बच्चों को ऑटों में भेजा गया। वहीं, कई स्कूल ऐसे भी थे जहां टीम पहुंची तो ड्राइवर वहां से भाग निकले। क्योंकि बहुत से ड्राइवर ऐसे भी हैं जिनके पास न तो बसों के कागजात हैं और न ही उनके पास बस चलाने के लिए लाइसेंस ही है। वह छोटे वाहनों के लाइसेंस से हैवी वाहन चला रहते हैं। चेकिंग टीमों को वाहन में प्रबंध पूरे नहीं मिले। अगर किसी स्कूल में हेल्पर या सीसीटीवी लगे मिले तो उसके ड्राइवर के पास कागजात नहीं मिलेे।
70% वाहनों में महिला कर्मी, सीसीटीवी नहीं मिले
संगरूर जैसे हादसे के बाद ही आखिर क्यों जागती है सरकार और प्रशासन। उससे पहले उन्हें क्यों नहीं दिखाई देते इन वाहनों पर ठूंस करके ले जाए जा रहे बच्चे। सोमवार को हुई कार्रवाई से पता चला कि 70 फीसदी वाहनों में महिला कर्मी नहीं हैं न ही इनमें सीसीटीवी लगे मिले। ये दोनों ही बच्चों की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी हैं।

स्कूली वाहन पैरामीटर
- स्कूल वैनों का रंग पीला होना चाहिए, स्कूल का नाम स्पष्ट अक्षरों में लिखा होना चाहिए।
- आग बुझाओ यंत्र जरूरी, वाहन पर डीटीओ कार्यालय का नंबर लिखा होना चाहिए।
- सीसीटीवी कैमरे एवं बारीकी हाइड्रोलिक होनी चाहिए।
- वाहन में फर्स्ट एड एवं परमिट के अनुसार छात्रों की गिनती होनी चाहिए।
- वाहन में महिला सहायक होना जरूरी, ड्राइवर वर्दी में होना चाहिए।
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